मोहम्मद अल्लामा ‘इक़बाल’
सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
क़नाअत न कर आलमे-रंगो-बूपर
चमर और भी आशियाँ और भी हैं
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामाते-आहो-फ़ुग़ाँ और भी हैं
तू शाहीं है पर्वाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आस्माँ और भी हैं
इसी रोज़ो-शब में उलझकर न रह जा
कि तेरे ज़मानो-मक़ाँ और भी हैं
गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मिरे राज़दाँ और भी हैं
सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
क़नाअत न कर आलमे-रंगो-बूपर
चमर और भी आशियाँ और भी हैं
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामाते-आहो-फ़ुग़ाँ और भी हैं
तू शाहीं है पर्वाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आस्माँ और भी हैं
इसी रोज़ो-शब में उलझकर न रह जा
कि तेरे ज़मानो-मक़ाँ और भी हैं
गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मिरे राज़दाँ और भी हैं
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