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علامہ محمد اقبال / Allama Muḥammad Iqbāl / अल्लामा मोहम्मद इकबाल

"सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा Saare Jahan Se achcha Hindustan humara"

Sunday, March 6, 2011

जुगनू : अल्लामा इक़बाल की बाल कविता

सुनाऊं तुम्हे बात एक रात की,
कि वो रात अन्धेरी थी बरसात की,
चमकने से जुगनु के था इक समा,
हवा में उडें जैसे चिनगारियां.
पडी  एक बच्चे की उस पर नज़र ,
पकड़ ही लिया एक को दौड़ कर.
चमकदार कीडा जो भाया उसे ,
तो टोपी में झटपट छुपाया उसे.
तो ग़मग़ीन कैदी ने की इल्तेज़ा ,
‘ओ नन्हे शिकारी ,मुझे कर रिहा.
ख़ुदा के लिए छोड़ दे ,छोड़ दे ,
मेरे कैद के जाल को तोड दे .
-”करूंगा न आज़ाद उस वक्त तक ,
कि देखूं न दिन में तेरी मैं चमक .”
-”चमक मेरी दिन में न पाओगे तुम ,
उजाले में वो तो हो जाएगी गुम.
न अल्हडपने से बनो पायमाल -
समझ कर चलो- आदमी की सी चाल”.
-अल्लामा इक़बाल.

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