तू अभी रहगुज़र में है क़ैद-ए-मकाम से गुज़र
मिस्र-ओ-हिजाज़ से गुज़र, पारेस-ओ-शाम से गुज़र
जिस का अमाल है बे-गरज़, उस की जज़ा कुछ और है
हूर-ओ-ख़याम से गुज़र, बादा-ओ-जाम से गुज़र
गर्चे है दिलकुशा बहोत हुस्न-ए-फ़िरन्ग की बहार
तायरेक बुलंद बाल दाना-ओ-दाम से गुज़र
कोह शिग़ाफ़ तेरी ज़रब तुझसे कुशाद शर्क़-ओ-ग़रब
तेज़े-हिलाहल की तरह ऐश-ओ-नयाम से गुज़र
तेरा इमाम बे-हुज़ूर, तेरी नमाज़ बे-सुरूर
ऐसी नमज़ से गुज़र, ऐसे इमाम से गुज़र
No comments:
Post a Comment