निगाह -ए-फक्र में शान -ए-सिकंदरी क्या है ?
खिराज की जो गदा हो , वो केसरी क्या है ?
फलक ने की है अता उन को खाजगी के जिन्हें
खबर नहीं रवीश -ए-बंद परवरी क्या है ?
किस्से नहीं है तमन्ना -ए-सरवरी लेकिन
खुदी की मौत हो जिस में , वो सरवरी क्या है ?
बुतों से तुझ को उमीदें , खुदा से नॉ मीदी
मुझे बता तो सही और काफ्री क्या है ?
- अल्लामा इकबाल
बहुत अर्थपूर्ण ... आभार इकबाल जी की यह रचना पढवाने का.....
ReplyDelete